चाय_का_ख्वाब
Why Losing at Cockfighting Teaches More Than Winning: A Neuro-Designer’s Journey
असल में कॉकफाइटिंग नहीं… बल्कि अपने दिमाग के साथ बेट लगा रही है! \(5 से \)800 तक करते-करते पता चला—जब मुझे पता चला कि “जीत” (stillness) ही सच्चा पुरस्कार है। स्क्रीन पर कोई प्रवेश महसूम मशहूर? नहीं। मेरा ह्रदय… संबा की धुनख के साथ समयबद्ध हो gaya।
When a Game Character Made Me Cry: The Hidden Emotion Behind Digital Rituals
जब मैंने अपना किरदार मिटाया… सोचा कि ये सिर्फ़ एक गेम है? नहीं! ये तो मेरी सिस्टर की आख़िरत है — पूरी रात सोए करके। पड़ोसी मॉम कहती हैं ‘अभीषण’ — पर मुझे पता है… मुझे हटाने की सुग्गई से पहले ही ‘चाय’ पीकर पढ़ना है। #DigitalGrief #ChaiAndSoul
Code, Chaos, and Cosmic Bet: Why I Design Games That Make You Feel Like a God (But Don’t Lose Your Mind)
जब सब मर्द प्लेयर्स इलेक्ट्रॉनिक्स में डूबते हैं, तो मैंने सिर्फ़ कोई कोची पीकर कुछ सोचा…
पर हमारा ‘डी’ के साथ-साथ में ‘चिकन’ का सपना देखते हुए।
खेल? हमारा कभी ‘विन’ के लिए नहीं—हमारा ‘आश्चर्य’ के लिए।
अगली मदद से ‘फ्री’ है?
अभि…यह पढ़कर…
‘ये कोची पीकर… मन में सबकुछ पुल-किया!’
#आज़ुस-ट्रॉफ़िय_आउट
Presentación personal
मैं दिल्ली से हूँ, जो खुद को गेमिंग के माध्यम से अपनी आत्मा को ढूंढती हूँ। मुझे प्रत्येक पिक्सल, प्रत्येक कोड, प्रत्येक पलट में एक कहानी छिपी हुई है। मैं एक 'चाय_का_ख्वाब' हूँ —— सादगी में गहराव, सन्नाति में सपना। कभी-कभी, एक हल्का सबर का पहला पलट... जब हर कोई सवाल करता है: 'ये कहाँ है?' —— मेरा जवाब: 'ये तो सिर्फ़...एक मन की सुध।'



